मंजिल की और में बड तो चला था ,
अंखोए में लिये वोह धुन्दले सपने ।
ख़ामोशी सी थी शोर में ,
में खड़ा था किस और में ।
क्या सच था क्या झूट,
कौन अपने कौन पराये ।
क्या सोच के चला था ,
और अब क्या सोच के रुका था वोह दोराहो पे ।
पाने के लिये था आसमान ,
खोने के लिये एक आम इंसान ।
फिर भी में सोच में पड़ा था ,
क्यों न जाने दिल में बोझ सा ढला था ।
यदोएं का सपना ढला था ।
मंजिल की और में बड तो चला था ,
अंखोए में लिये वोह धुन्दले सपने।
-------------------------------------------------------------
Manzile ki aure mei bade toh chala tha
ankhon mei liya woh dhundale sapne
khamoshi si thi shor mei
mei khada tha kise aure mei
kya saach tha kya jhoot
kaun apne kaun paraye
kya soch ke chala tha
aur ab kya soch ke ruka tha woh doe rahoon pe
pane ke liye tha asman
khoone ke liye ek aam insaan
phir bhi mei soch mei pada tha
kyu na jane dil mei bhauje sa dhala tha
yadoo ka sapna dala tha
Manzile ki aure mei bade toh chala tha
ankhoo mei liya woh dhundale sapne
अंखोए में लिये वोह धुन्दले सपने ।
ख़ामोशी सी थी शोर में ,
में खड़ा था किस और में ।
क्या सच था क्या झूट,
कौन अपने कौन पराये ।
क्या सोच के चला था ,
और अब क्या सोच के रुका था वोह दोराहो पे ।
पाने के लिये था आसमान ,
खोने के लिये एक आम इंसान ।
फिर भी में सोच में पड़ा था ,
क्यों न जाने दिल में बोझ सा ढला था ।
यदोएं का सपना ढला था ।
मंजिल की और में बड तो चला था ,
अंखोए में लिये वोह धुन्दले सपने।
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Manzile ki aure mei bade toh chala tha
ankhon mei liya woh dhundale sapne
khamoshi si thi shor mei
mei khada tha kise aure mei
kya saach tha kya jhoot
kaun apne kaun paraye
kya soch ke chala tha
aur ab kya soch ke ruka tha woh doe rahoon pe
pane ke liye tha asman
khoone ke liye ek aam insaan
phir bhi mei soch mei pada tha
kyu na jane dil mei bhauje sa dhala tha
yadoo ka sapna dala tha
Manzile ki aure mei bade toh chala tha
ankhoo mei liya woh dhundale sapne
nice one
ReplyDeleteGood one praveen... :) lookin foward to more from u.. :)
ReplyDeleteThank you ! rochu & krupa !
ReplyDeleteSahi hai bhai!!! :-)
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